Category: MPPSC Prelims Paper 1 Unit 2

  • रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन

    रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन

    रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन स्वतंत्रता के पश्चात देशी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण और पुनर्गठन । त्रावनकोर :-     दक्षिण तटीय राज्य, त्रावनकोर, उन प्रथम रियायतों में से एक था जिसने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया था एवं कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्त्व पर प्रश्नचिह्न लगाया था। ऐसा कहा जाता…

  • भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति

    भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति

    भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति :- ईस्ट इंडिया कम्पनी आई तो थी भारत में व्यापार करने के लिए लकिन जब उसने देशी शासकों की कमजोरियों और आपसी वैमनस्यता को देखा तो भारत में साम्राज्य स्थापित करने की लालसा जाग उठी। जब प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर कंपनी ने अधिकार कर लिया तो…

  • जनजाति और किसान आन्दोलन

    जनजाति और किसान आन्दोलन

    जनजाति और किसान आन्दोलन निम्न जाति,, मजदूर आन्दोलन राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन :- सन्यासी विद्रोह(1763-1800 ई.) फकीर विद्रोह(1776-77 ई.): – बंगाल में मजमुन शाह एवं चिराग अली ने। रंगपुर विद्रोह(1783 ई.):– बंगाल में विद्रोहियों ने भू-राजस्व देना बंद कर दिया था। दीवान वेलाटंपी विद्रोह(1805 ई.):– इसे 1857 के विद्रोह का पूर्वगामी भी कहा जाता है। यह आंदोलन…

  • अंग्रेजों का बंगाल पर अधिकार  

    अंग्रेजों का बंगाल पर अधिकार  

    अंग्रेजों का बंगाल पर अधिकार  :- बंगाल में नवाब अलीवर्दी खां : सिराजुद्दौला :- ब्लैक होल – काल कोठरी की घटना :- अलीनगर की संधि :- प्लासी का युद्ध :- युद्ध के परिणाम :- बक्सर का युद्ध :-

  • 1857 की क्रांति  

    1857 की क्रांति  

    1857 की क्रांति  :- 1857 का भारतीय विद्रोह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था जिसने ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया। विद्रोह विद्रोह के कारण :- राजनीतिक कारण व्यपगत का सिद्धांतः- सामाजिक और धार्मिक कारण :- आर्थिक कारण…

  • भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन  

    भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन  

    भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन  :- क्रान्तिकारियों की कार्य-प्रणाली :- क्रांतिकारियों का मानना था कि ‘अंग्रेजी शासन पाशविक बल पर स्थित है और यदि हम अपने आपको स्वतंत्रा करने के लिए पाशविक बल का प्रयोग करते हैं तो यह उचित ही है. उनका संदेश थाः ‘तलवार हाथ में लो और सरकार को मिटा दो.’ उनकी कार्य-प्रणाली…

  • ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

    ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

    ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अंग्रेजों से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति ग्रामीण थी तथा देश की 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती थी। यहां कृषि एवं दस्तकारी के कार्यों की प्रमुखता थी तथा गांव आत्मनिर्भर थे। व्यवसाय वंशानुगत था। यहां का प्रमुख व्यवसाय कृषि था, लेकिन उद्योग के क्षेत्र में…

  • भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन

    भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन

    भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन :- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भारत के लोगों के हित से संबंधित जन आंदोलन था जो पूरे देश में फैल गया था। देश भर में कई बड़े और छोटे विद्रोह हुए थे और कई क्रांतिकारियों ने ब्रिटिशों को बल से या अहिंसक उपायों से देश से बाहर करने के लिए मिल कर लड़ाई…

  • धार्मिक और समाज सुधार आन्दोलन

    धार्मिक और समाज सुधार आन्दोलन

    19 वी और 20 वी सदी के प्रमुख धार्मिक और समाज सुधार आन्दोलन कारण :- विशेषताएं :-   ब्रह्म समाज :- विकास :- ब्रह्म समाज में फूट :- केशव चन्द्र सेन के अति उदारवादी विचारों के कारण ब्रह्म समाज का विभाजन हुआ। केशव चन्द्र सेन के नियंत्रण में ब्रह्म समाज के अन्दर ऐसी अनेक गतिविधियां…

  • सिक्ख गुरु

    सिक्ख गुरु

    सिक्ख गुरु गुरू नानक (1469-1538ई.)- इनके प्रमुख कार्य- सिक्ख धर्म के संस्थापक, हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल, अपवाद एवं कर्मवाद का विरोध, समानता पर सर्वाधिक बल, धर्मप्रचार के लिये संगतों की स्थापना। गुरू अंगद (लेहना) बाबा श्रीचंद1538-1552ई. – प्रमुख कार्य- गुरू नानक के शिष्य, गुरू के उपदेशों का सरल भाषा में प्रचार गुरू अंगद…