Category: MPPSC Prelims Paper 1 Unit 2

  • उत्तरवैदिक काल

    उत्तरवैदिक काल

    उत्तरवैदिक काल (1000-600 ई.पू.) ऋग्वेद के बाद प्राचीन भारत में जिस काल का आगमन हुआ वह काल उत्तरवैदिक काल था। इस काल की जानकारी पुरातात्विक तथा साहित्यिक स्रोतों से मिलती है। पुरातात्विक स्रोत- अतरंजीखेङा–  सर्वप्रथम लौह उपकरण अतरंजीखेङा से ही प्राप्त हुए हैं तथा यहां से सर्वाधिक लौह उपकरण भी प्राप्त हुए हैं। यहां से…

  • ऋग्वैदिक काल

    ऋग्वैदिक काल

    वैदिक युग(ऋग्वैदिक काल) वैदिक सभ्यता(1500 ई.पू.से 600ई.पू.)-   सिंधु सभ्यता के पतन के बाद भारत में एक बार फिर से ग्रामीण सभ्यता का उद्भव हुआ,  जिसके प्रर्वतक आर्य थे जिसे वैदिक सभ्यता नाम दिया गया । यह सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है। वैदिक काल 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक रहा।  सामान्यत: यह माना जाता…

  • सिंधु घाटी सभ्यता

    सिंधु घाटी सभ्यता

    सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी।यह सभ्यता सिंधु-सरस्वती , हङप्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है तथा आद्यैतिहासिक कालीन होने के कारण इसे आद्यैतिहासिक सभ्यता भी कहा जाता है। कुछ समय पहले यह माना जाता था कि यह सभ्यता 5500 साल…

  • इतिहास के अध्ययन के स्रोत

    इतिहास के अध्ययन के स्रोत

    प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन के स्रोत भारत का इतिहास 1. इति-ऐसा ही, 2.ह-निश्चित रुप से 3.आस -था। इसका अर्थ है – ऐसा ही निश्चित रुप से था अर्थात् हम कह सकते हैं कि जो घटनाएँ अतीत काल में निश्चित रुप से घटी हैं, वही इतिहास है। इ‍ति‍हास के स्रोत : 1. पुरातात्विक स्रोत…