मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल Religious and tourist places of Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों का विकास करने की दृष्टि से वर्ष 1978 में म.प्र. राज्य पर्यटन विकास
पचमढ़ी :-
पचमढ़ी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में है। इसे वर्तमान मध्यप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजाधानी व मध्यप्रदेश की छत कहा जाता है। पचमढ़ी की खोज वर्ष 1862 में कैप्टन फोरसिथ ने की थी।
सतपुड़ा श्रेणी के मध्य में स्थित होने और अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ (1350 M )पचमढ़ी में ही स्थित है। पचमढ़ी में तवा और देनवा नदी के संगम पर मढ़ई वन क्षेत्र प्रमुख जल पर्यटन स्थल है। पचमढ़ी को 1999 में प्रदेश का पहला तथा देश का 10 वां बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया I Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
हांडी खो घाटी,चौरागढ़ चोटी,जम्बू द्वीप,मधुमक्खी झरना,डचेस जल प्रपात,रीछ गृह गुफा,जटाशंकर की गुफाए,अप्सरा गुफा,राजेन्द्र गिरी उद्यान,महादेव रॉक पेंटिग, रीछगढ़, बेगम पैलेस, संगमटूर, प्रियदर्शनी पाईट, राजेन्द्रगिरी चोटी, अप्सरा जल प्रपात, रजत जल प्रपात, पाण्डव गुफा, हार्पर गुफाएँ, भरतमीर गुफा, सरदार गुफा, द्रोपदी कुटी, रविशंकर भवन, रोमन कैथोलिक चर्च, इको पाइंट, सुषमासा, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान।
निकटतम हवाई अड्डा भोपाल (195 कि.मी.) , पिपरिया (47 कि.मी.) सबसे सुविधा जनक रेलवे स्टेशन है।
साँची :-
साँची को पूर्व में ‘काकणाम ’, ‘काकणादबोट’, ‘बोट-श्री पर्वत’ नामों से जाना जाता था।
सांची के स्तूप की खोज सन 1818 में जनरल टेलर द्वारा किया गया । साँची के पुराने स्मारकों के निर्माण का श्रेय मौर्य सम्राट अशोक (तत्कालीन राज्यपाल विदिशा) को है जिन्होंने अपनी विदिशा निवासी रानी की इच्छानुसार साँची की पहाड़ी पर स्तूप विहार एवं एकाश्म स्तम्भ का निर्माण कराया था।
शुंग काल में साँची एवं उसके निकटवर्ती स्थानों पर अनेक स्मारकों का निर्माण हुआ था। इसी काल में अशोक के ईट निर्मित स्तूप को प्रस्तर खंडों से आच्छादित किया गया था।
स्तूप 2 और 3 तथा मंदिर का निर्माण शुंगकाल में ही हुआ था। भारत सरकार के पुरा- सर्वेक्षण विभाग द्वारा साँची के निकटवर्ती स्थानों पर खुदाई में साँची सदृश अन्य स्तूप श्रृंखला का पता चला है।
सांची के स्तूप को वर्ष 1989 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया है । Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
विशाल स्तूप क्रमांक 1:- 36.5 मीटर की परिधि तथा 16-4 मीटर की ऊंचाई वाला भव्य निर्माण प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला की अनुपम कृति हैं।
स्तूप क्रमांक-2 की श्रेष्ठता उसके पाषाण-निर्मित घेरे में है। अर्द्धगोलाकार युक्त गुंबध वाले स्तूप क्रमांक-3 का धार्मिक महत्व है। महात्मा बुद्ध के दो प्रमुख शिष्यों सारिपुत्र तथा महामोगलायन के अवशेष यहीं मिले थे। बौद्ध विहार, अशोक स्तंभ तथा गुप्त कालीन संग्रहालय यहां के अन्य दर्शनीय स्थल है।
खजुराहो :-
यहाँ के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चन्देल राजाओं 950-1050 (यशोवर्मन तथा धंग) ईस्वी के मध्य करवाया था। इन मंदिरों की संख्या 85 थी लेकिन अब इनकी संख्या कम हो गई हैं।
ये मंदिर मध्य युगीन भारत की शिल्प एवं वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं। यहाँ दूर-दूर तक फैले मंदिरों की दीवारों पर देवताओं तथा मानव आकृतियों का अंकन बहुत भव्य है । यह विश्व प्रसिद्ध है
प्रमुख स्थल :-
1. पश्चिम समूह के मंदिर-कंदरिया महादेव, चौंसठ योगिनी, चित्रगुप्त मंदिर, लक्ष्मण मंदिर तथा मातंगेशवर मंदिर।
2. पूर्वी समूह-पार्श्वनाथ मंदिर घंटाई मंदिर, आदिनाथ मंदिर।
3. दक्षिण समूह-दूल्हादेव मंदिर तथा चतुर्भुज मंदिर। इसके अलावा-बेनी सागर बांध , स्नेह प्रपात भी देखने लायक है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
मांडू(मांडव) :-
यहां निर्मित मंडपों, स्तंभ युक्त कक्षों गुंबदों के साथ मांडू बहुत मनोरम लगता है। मांडू को बाजबहादुर और रूपमति की प्रणय गाथा से भी जोड़ा जाता है । समुद्र से 2000 फुट की ऊंचाई पर विंध्य पर्वतमाला की गोद में स्थित इस सुरक्षित स्थल को मालवा के परमार राजाओं ने अपनी राजधानी बनाया था। यहां का प्रत्येक स्थापत्य भारतीय वास्तुकला का भव्य नमूना है।
प्रमुख स्थल :-
मांडू का परकोटा जिसमें 12 दरवाजे हैं जो रामपोल, तारापुर दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, दिल्ली दरवाजा आदि नामों से जाने जाते हैं। यह निर्माण अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध है।
जहाज महल, हिंडोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामी मस्जिद अशर्फी महल, रेचा कुंड, रूपमती मंडप, नीलकंठ, नीलकंठ महल, हाथी महल तथा लोहानी गुफाएं आदि दर्शनीय है।
उज्जैन :-
उज्जयिनी को भारत की सांस्कृतिक-काया का मणि-चक्र माना गया है। पुराणों में उज्जयिनी, अवन्तिका, अमरावती, प्रतिकल्पा, कुमुद्धती आदि नामों से इसकी महिमा गायी गई है।
महाकवि कालीदास द्वारा वर्णित “श्री विशाला” एवं पुराणों में वर्णित “सार्वभौम” नगरी यही है। उज्जैन का सिंहस्थ पर्व प्रत्येक बारह वर्षों के अंतराल से कुभ पर्व रूपी दुर्लभ अवसर पर मनाया जाता है। श्रीकृष्ण सुदामा ने यही सांदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
यहां महाकाल मंदिर परिसर , महाकाल लोक , मंगलनाथ, काल भैरव, विक्रान्त भैरव, हरसिद्धि, चौसठयोगिनी, गढ़कालिका, नगर कोट की रानी, गोपाल मंदिर, अनंत नारायण मंदिर, अंकपात, त्रिवेणी संगम पर नवग्रह मंदिर, चिन्तामण-गणेश, अवन्ति-पार्श्वनाथ मंदिर,ख्वाजा शकेब की मस्जिद, बोहरों का रोजा, जामा मस्जिद, वैश्या टेकरी का स्तूप-स्थल, कालियादह महल, ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, पीर-मत्स्येन्द्र की समाधि, जयसिंहपुरा, दिगम्बर जैन संग्रहालय, वाकणकर स्मृति जिला पुरातत्व संग्रहालय, भारतीय कला भवन, दुर्गादास राठौर की छत्री आदि दर्शनीय स्थल हैं।
भेड़ाघाट :-
भेड़ाघाट (जबलपुर) में संगमरमरी चट्टानों पर तेज प्रवाह से गिरता नर्मदा नदी का जल पर्यटकों को आकर्षित करता है। जबलपुर से 21 कि.मी. दूर संगमरमर की ऊँची दूधिया चट्टानों के बीच बहती हुई नर्मदा नदी अति सुंदर दृश्य उपस्थित करती है।
प्रमुख स्थल :-
भेड़ाघाट के समीप चौसठ योगिनी मंदिर तथा गौरीशंकर मंदिर दर्शनीय हैं। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
चित्रकूट :-
प्राचीन काल में तपस्या और शांति का स्थल चित्रकूट ब्रम्हा, विष्णु, महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। वनवास के समय भगवान राम, सीता व लक्ष्मण, महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर यहाँ रहे थे।
प्रमुख स्थल :-
रामघाट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित घाटों की कतारें हैं। कामदगिरि, जानकी कुण्ड, सती अनुसूया, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरत कूप दर्शनीय हैं।
अमरकंटक :-
भारत की 5 वी सबसे लंबी और पश्चिंवर्ती नर्मदा नदी का उद्गम अमरकण्टक प्रसिद्ध तीर्थ और नयनाभिराम पर्यटन स्थल है। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के दक्षिण-पूर्वी भाग में मैकल पर्वतमालाओं में स्थित अमरकण्टक भारत के पवित्र स्थलों में गिना जाता है। नर्मदा और सोन और जोहिला नदियों का यह उद्गम स्थल आदिकाल से ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। नर्मदा का उद्गम यहां एक कुंड से तथा सोनभद्रा का पर्वतशिखर से हुआ है।
प्रमुख स्थल :-
अमरकण्टक के मन्दिर जिसकी संख्या 24 हैं। कपिलधारा जलप्रपात, सोन मुंग, माई की बगिया, कबीरा चौरा, भृगु कमण्डल और पुष्कर बांध देखने योग्य हैं। घाटी में बसे अमरकण्टक ग्राम में भव्य शिखरों वाले मंदिर और कई धर्मशालाएं हैं।
ग्वालियर :-
ग्वालियर शहर सदियों तक अनेक राजवंशों का आश्रय स्थल रहा और प्रत्येक के राज्यकाल में इनमें नए आयाम जुड़े। यहां के योद्धाओं,राजाओं,कवियों,संगीतकारों और साधु-संतों ने अपने योगदान से इस नगर को अधिकाधिक समृद्धि और सम्पन्नता प्रदान की और यह नगर सारे देश में विख्यात हुआ।
विशाल ग्वालियर दुर्ग का निर्माण सन् 525 ई. में राजा सूरजपाल ने कराया था। मध्यकाल के इतिहास में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
ग्वालियर दुर्ग , गुजरी महल राजा मानसिंह तोमर ने गुजर रानी मृगनयनी के प्रेम में बनवाया। मान मंदिर, सूरजकुंड, तेली का मंदिर, सास-बहू का मंदिर, जयविलास महल, रानी लक्ष्मीबाई की अश्वारोही मूर्ति, संग्रहालय, तानसेन की समाधी, गौस मोहम्मद का मकबरा, कला वीथिका, नगर पालिका संग्रहालय, चिड़ियाघर, गुरुद्वारा, सूर्य मंदिर आदि दर्शनीय है।
शिवपुरी :-
ग्वालियर रियासत के सिंधिया राजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी शिवपुरी आज भी अपने सुन्दर राजप्रासादों तथा संगमरमर से निर्मित अलंकृत छतरियों के द्वारा राजसी विरासत की याद दिलाती है। शिवपुरी को मध्यप्रदेश का प्रथम पर्यटन स्थल घोषित किया गया था ।
प्रमुख स्थल :-
माधव राष्ट्रीय उद्यान: 156 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह उद्यान विभिन्न प्रकार की वनस्पति एवं विविध प्राणियों से समृद्ध है। हिरण की बहुलता वाले इस क्षेत्र में चिंकारा, भारतीय कलपूंछ और चीतल मिल जाते हैं। इसके अलावा नीलगाय, सांभर, चौसिंघा, कृष्णमृग, रीठ, चीता और बंदर प्रमुख हैं।
राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त सिंधिया राजवंश की कलात्मक छतरियां, गुलाबी रंग का माधव बिलास प्रसाद, अभ्यारण्य के बीच उसके सर्वोच्च बिन्दु पर स्थित कगूरेदार जार्ज कैसल भवन , सांख्य सागर तालाब (रामसर भूमि 2022 ) , बोट क्लब, भदैया कुण्ड तथा वीर तात्या टोपे की विशाल मूर्ति यहां के अन्य दर्शनीय स्थल है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
ओंकारेश्वर :-
ॐ की पवित्र आकृति स्वरूप यह द्वीप सदृश मनोरम स्थल अनंतकाल से तीर्थ के रूप में मान्य है। यहां नर्मदा-कावेरी के संगम पर ओंकार मांधाता के मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग पुराण प्रसिद्ध 12 जयोतिर्लिंगों में से एक है।
प्रमुख स्थल :-
ओंकार मांधाता, सिद्धनाथ मंदिर, चौबीस अवतार, सप्त मातृका मंदिर तथा काजल रानी गुफा , आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा (निर्माणाधीन ) आदि यहां है।
महेश्वर :-
इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है। इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है। रानी अहिल्याबाई होलकर ने यहां के महलों को चार चांद लगाए।
प्रमुख स्थल :-
राजगद्दी और राजवाड़ा,घाट तथा मंदिर दर्शनीय हैं। महेश्वर की साड़ियाँ अत्यधिक प्रसिद्ध है।
भोपाल :-
ग्यारहवीं सदी के भोजपाल तथा तत्पश्चात् भूपाल नामक इस नगर को परमार वंशी राजा भोज ने बसाया था। भोपाल पांच पहाड़ियों पर बसा है तथा इसमें दो झीलें हैं। यहां की जलवायु सम है।
प्रमुख स्थल :-
ताज-उल-मस्जिद , जामा मस्जिद, लक्ष्मीनारायण मंदिर, बिड़ला संग्रहालय, शौकत महल और सदर मंजिल, भारत-भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, राजकीय संग्रहालय, गांधी भवन, वन विहार, चौक, बड़ी और छोटी झील, मछली घर इत्यादि दर्शनीय हैं।
बांधवगढ़ :-
शहडोल जिले में विंध्य पर्वत माला की दूरस्थ पहाड़ियों में 448 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला छोटा किन्तु सघन राष्ट्रीय उद्यान है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
सफेद शेर की मातृभूमि बांधवगढ़ में बाघों की सघनता पूरे भारत की तुलना में सबसे अधिक है। इस भू-भाग की घाटियों ओर ढालानों में साल-वन फैले हुए हैं जो पहाड़ियों तथा उद्यान के दक्षिण और पश्चिम में शुष्क क्षेत्र होने के कारण पतझडीय वनों के रूप में बदलते जाते हैं।
प्रमुख स्थल :-
वन्य जीवन:- यहां 22 से अधिक स्तनपायी प्राणी और 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। यहां नरभक्षी प्राणियों में एशियायी सियार, बंगाल लोमड़ी, भालू, बिज्जू, सफेद नेवला, धारीदार लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, तेन्दुआ और बाघ शामिल हैं।
कान्हा किसली :-
साल और बांसों से भरा कान्हा का जंगल, सन् 1955 में एक विशेष कानून के द्वारा कान्हा राष्ट्रीय उद्यान अस्तित्व में आया। यह पशु-पक्षियों के लिए एक निर्भिक आश्रय स्थल बन गया है।
प्रमुख स्थल :-
बमनीदादर, स्तनपायी प्राणियों की जातियां तथा कान्हा का पशु पक्षी संसार दर्शनीय है।
ओरछा :-
ओरछा राज्य की स्थापना 16वीं सदी में बुन्देला राजपूत रूद्रप्रताप ने की थी। ओरछा के प्रांगण में अनेक छोटे मकबरे और स्मारक हैं। इनमें से प्रत्येक का रोचक इतिहास है। मध्यकाल की यह प्रसिद्ध एतिहासिक नगरी है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
जहांगीर महल, राजमहल, राय प्रवीण महल, रामराजा मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, फूल बाग, दीवान हरदौल महल, सुन्दर महल, छत्रियां, शहीद स्मारक
भोजपुर :-
किंदवन्तियों के रूप में अमरता प्राप्त धार के महान सम्राट राजा भोज ने इसकी स्थापना की थी। यहां का भव्य शिवमंदिर मध्य भारत का सोमनाथ कहालाता है। जिसका निर्माण आज भी अधूरा है ।
प्रमुख स्थल :-
भोपाल से 28 कि.मी. दूर भोजपुर की प्रसिद्धि भव्य शिवमंदिर और विधाल बांध के कारण है। यह मंदिर भोजेश्वर मंदिर के रूप में माना जाता है। जैन मंदिर भी दर्शनीय है।
भीम बेटका :-
विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं की उत्तरी छोर से घिरा हुआ भीम बैटका भोपाल से 40 कि.मी. दूर दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। भीम बेटका समूह मानव इतिहास का एक बहुमूल्य इतिवृत्त और समुद्र पुरातात्विक संकुल माना जाता है। इस स्थल की खोज श्रीधर विष्णु वाकणकर ने की थी । भीमबेटका को वर्ष 2003 में यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत सूची में शामिल किया था । भीमबेटका विश्व का सबसे बड़ा गुफा समूह है I Religious and tourist places of Madhya Pradesh
प्रमुख स्थल :-
यहां 500 से अधिक गुफाओं में प्रागैतिहासिक गुफावासियों की दैनिक जीवनचर्या के मनोहारी चित्र दर्शाए गए हैं।
विदिशा :-
विदिशा, बेसनगर तथा भेलसा के नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र प्राचीन इतिहास की समृद्ध धरोहर के रूप में सांची से केवल 10 कि.मी. दूर बेतवा और बेस नदियों के बीच स्थित है।
यह क्षेत्र शुंग, नाग, सातवाहन तथा गुप्त सम्राटों के अधीन रहकर अत्यंत समृद्धि को प्राप्त हुआ था।
सम्राट बनने के पूर्व अशोक यहां के राज्यपाल रहे थे। विदिशा का उल्लेख महाकवि कालिदास की महान कृति मेघदूत में मिलता है।
प्रमुख स्थल :-
लोहांगी शिला, गुम्बज, बीजा मंडल आदि हैं। हेलियोडोरस का स्तंभ (खंबा बाबा) हेलियोडोरस द्वारा वासुदेव के सम्मान में स्थापित स्तंभ है।
उदयगिरी गुफाएं :-
विदिशा से 4 कि.मी. दूर स्थित हैं तथा चौथी-पांचवीं सदी में निर्मित हुआ था गुप्तकालीन इन गुफाओं की तोरण-श्रृंखला अतिसुन्दर है।
विष्णु को वराह अवतार के रूप में उत्कीर्ण किया गया है। भगवान विष्णु की विशालकाय मूर्ति विश्राम मुद्रा में है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
ग्यारसपुर :-
सांची से 41 कि.मी. दूर स्थित यह स्थान मध्ययुग का महत्वपूर्ण स्थान है। बज्र भद्र और मालादेवी के नक्काशीदार स्तंभ दर्शनीय है।
उदयपुर :-
यह स्थान भोपाल से विदिशा तथा गंजबासौदा होते हुए 90 कि.मी. की दूरी पर है।
यहां का विशाल नील कंठेश्वर मंदिर परमार कालीन स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। बीजा मंडल, शाही मस्जिद, महल, पिसनहारी का मंदिर आदि अन्य दर्शनीय स्थल हैं।
बाघ की गुफाएँ :-
बाघ गुफाएँ इंदौर से 146 कि.मी. दूर धार जिले में स्थित है।
अजन्ता की गुफाओं की तरह ही ये गुफाएं भी प्राचीन काल की हैं। इन गुफाओं में हिन्दू महाकाव्यों और बौद्ध ग्रंथों की घटनाएं अंकित हैं। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
मैहर :-
मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा नगर है यह प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है । मैहर में शारदा मां का मंदिर कैमूर तथा विंध्यांचल पर्वत श्रेणियों में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है । मैहर माता का मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है यह नरसिंह पीठ के नाम से भी विख्यात है । मैहर में प्रसिद्ध आल्हा ऊदल का अखाड़ा था । मेहर को संगीत नगरी के नाम से भी जाना जाता है । संगीतकार उस्ताद अलाउद्दीन खान की जन्म भूमि है । मैहर में प्रतिवर्ष अलाउद्दीन खां समारोह मनाया जाता है । मध्य प्रदेश सरकार ने इसे 2009 में पवित्र स्थल घोषित किया है । मैहर में आल्हा उदल तालाब , नरसिंह पीठ तथा गोलामठ दर्शनीय स्थल है ।
धार :-
यहाँ एक छोटी पहाड़ी पर किला है जिसका निर्माण 1344 ई. में सुल्तान मोहम्मद तुगलक ने अपनी दक्षिण विजय के दौरान देवगिरी जाते समय यहां ठहरने के उद्देश्य से कराया था। इस किले में देवी कालकाजी मंदिर अब्दुल्ला शाह मंगल का मकबरा है। दुर्ग के निकट हजरत मकबूल की कब्र है। धार परमार राजाओं की राजधानी भी रहा है। भोजराज की नगरी भोजशाला और लाट मंदिर प्रसिद्ध हैं। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
मंदसौर :-
यहाँ पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। इसी के समीप चंबल नदी पर बना चंबल नदी पर बना गांधी सागर बांध है।
बावनगजा :-
सरकारी आंकड़ों के आधार पर बावनगजा में आदिनाथ (ऋषभदेव की 25.6 मीटर) ऊंची (मोनोलिथ) प्रतिमा (1 मीटर में 3.28 फीट , 1 गज में भी लगभग 3 फीट होते हैं ) यदि फीट में बात की जाये तो जैन साहित्यों में बावनगजा में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 84 फीट होने की जानकारी मिलती है। कुछ स्थानो में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 72 फीट होने की जानकारी मिलती है।
गिन्नौरगढ :-
भोपाल से 60 किमी दूर है , जहां 390 मीटर ऊंची 50 मीटर चैड़ी पर एक किला बना है। इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में महाराजा उदयवर्मन ने कराया था । इस दुर्ग की अंतिम गोंड शासक कमलावती थी। किले के निकट तोतों का क्षेत्र है। किला जिस पहाड़ी पर बना है उसे अशर्फी पहाड़ी कहते हैं। इस दुर्ग के सभी महल के सभी महल विशेष दर्शनीय है और अनेक इमारतें ऐतिहासिक महत्व की है जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। Religious and tourist places of Madhya Pradesh
मुक्तागिरी :-
जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल स्थल बैतूल जिले में स्थित है। यहां पर 52 मंदिर है। कुछ मंदिर चट्टानों के अंदर बने हैं। निर्जन तथा वनों से आच्छादित गुफाओं तथा पर्वत शिखरों पर निर्मित यह मंदिर बड़े आकर्षक दिखाई देते हैं। एक छोटा-सा जलप्रपात भी है , जो यहां के आकर्षण को और बढ़ा देता है।
Major religious and tourist places of Madhya Pradesh
In the year 1978, M.P. State Tourism Development
Pachmarhi :-
Pachmarhi is in the Hoshangabad district of Madhya Pradesh. It is called the summer capital of present day Madhya Pradesh and roof of Madhya Pradesh. Pachmarhi was discovered in the year 1862 by Captain Forsyth.
Due to its location in the middle of the Satpura range and unique natural beauty, it is also called the Queen of Satpura. The highest peak of Madhya Pradesh, Dhupgarh (1350 M) is situated in Pachmarhi itself. The Madhai forest area at the confluence of Tawa and Denwa rivers in Pachmarhi is a major water tourism destination. In 1999, Pachmarhi was declared the first Biosphere Reserve of the state and the 10th of the country.
Major places :-
Handi Kho Valley, Chauragarh Peak, Jambu Island, Bee Falls, Duchess Falls, Reech Griha Cave, Jatashankar Caves, Apsara Cave, Rajendra Giri Garden, Mahadev Rock Painting, Reechgarh, Begum Palace, Sangamtur, Priyadarshini Payet, Rajendragiri Peak, Apsara Water Falls, Rajat Water Falls, Pandav Cave, Harper Caves, Bharatmir Cave, Sardar Cave, Draupadi Kuti, Ravi Shankar Bhavan, Roman Catholic Church, Echo Point, Sushmasa, Satpura National Park.
The nearest airport is Bhopal (195 km), Pipariya (47 km) is the most convenient railway station.
Sanchi :-
It was formerly known by the names ‘Kaknam’, ‘Kaknadbot’, ‘Bot-Shri Parvat’.
Sanchi Stupa was discovered in 1818 by General Taylor. The credit for the construction of the old monuments of Sanchi goes to the Maurya Emperor Ashoka (the then governor of Vidisha) who had built Stupa Vihar and a monolithic pillar on the hill of Sanchi as per the wish of his Vidisha resident queen.
Many monuments were built at Sanchi and its nearby places during the Shunga period. Ashoka’s brick stupa was covered with stone blocks during this period.
Stupa 2 and 3 and the temple were built during the Sunga period. Excavations at places near Sanchi by the Archaeological Survey Department of the Government of India have revealed other Stupa series similar to Sanchi.
The Stupa of Sanchi has been designated as a UNESCO World Heritage Site in the year 1989. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Vishal Stupa Number 1:- The grand construction with a circumference of 36.5 meters and a height of 16-4 meters is a unique masterpiece of ancient Indian architecture.
The superiority of stupa number-2 lies in its stone-built enclosure. Stupa number-3 having semi-circular dome has religious importance. The remains of Sariputra and Mahamoglayan, the two main disciples of Mahatma Buddha, were found here. Buddhist Vihar, Ashoka Pillar and Gupta Carpet Museum are other places of interest here.
Khajuraho :-
The world-famous temples here were built by Chandela kings between 950-1050 (Yashovarman and Dhang) AD. The number of these temples was 85 but now their number has reduced.
These temples are the best examples of the craft and architecture of medieval India. The marking of deities and human figures on the walls of the temples spread far and wide here is grand. it is world famous
Major places :-
1. Temples of the western group – Kandariya Mahadev, Chausath Yogini, Chitragupta Temple, Laxman Temple and Matangeshwar Temple.
2. Eastern Group-Parshvanath Temple, Ghantai Temple, Adinath Temple.
3. South Group-Dulhadev Temple and Chaturbhuj Temple. Apart from this, Beni Sagar Dam, Sneh Prapat is also worth seeing.
Mandu (Mandav) :-
It looks very picturesque with pavilions, pillared chambers and domes built here. Mandu is also associated with the love story of Baj Bahadur and Rupmati. Situated in the lap of the Vindhya ranges at an altitude of 2000 feet from the sea, this safe place was made by the Paramara kings of Malwa as their capital. Every architecture here is a grand specimen of Indian architecture. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Parkota of Mandu which has 12 gates which are known by the names Rampol, Tarapur Darwaza, Jahangir Darwaza, Delhi Darwaza etc. This construction is famous for its strength.
Jahaz Mahal, Hindola Mahal, Hoshangshah’s Tomb, Jami Masjid Asharfi Mahal, Recha Kund, Roopmati Pavilion, Neelkanth, Neelkanth Mahal, Hathi Mahal and Lohani Caves etc. are worth visiting.
Ujjain :-
Ujjayini has been considered as the gem-chakra of the cultural body of India. Its glory has been sung in the Puranas by names like Ujjayini, Avantika, Amaravati, Pratikalpa, Kumuddhati etc.
This is the “Shri Vishala” described by Mahakavi Kalidas and the “universal” city described in the Puranas. The Simhastha festival of Ujjain is celebrated every twelve years on a rare occasion in the form of Kubha festival. Shri Krishna Sudama had received education in this Sandipani Ashram. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Here Mahakal temple complex, Mahakal Lok, Mangalnath, Kaal Bhairav, Vikrant Bhairav, Harsiddhi, Chausathyogini, Garhkalika, Queen of Nagar Kot, Gopal Temple, Anant Narayan Temple, Ankpat, Navagraha Temple at Triveni Sangam, Chintaman-Ganesh, Avanti-Parshwanath Temple ,Khwaja Shakeb’s Mosque, Bohor’s Rosa, Jama Masjid, Vaishya Tekri’s Stupa, Kaliyadah Palace, Jyotirling Mahakaleshwar, Peer-Matsyendra’s Samadhi, Jaisinghpura, Digambar Jain Museum, Wakankar Memorial District Archaeological Museum, Bharatiya Kala Bhavan, Durgadas Rathore’s chhatri etc. are places of interest.
Bhedaghat :-
In Bhedaghat (Jabalpur), the water of the Narmada river falling with a strong current on the marble rocks attracts tourists. 21 km from Jabalpur The Narmada river flowing amidst the high milky marble rocks in the distance presents an exquisite sight.
Major places :-
Chausath Yogini Temple and Gaurishankar Temple are worth visiting near Bhedaghat.
Chitrakoot :-
In ancient times, the place of penance and peace, Chitrakoot is considered to be the place of child incarnation of Brahma, Vishnu, Mahesh. At the time of exile, Lord Rama, Sita and Lakshmana, Maharishi Atri and Sati stayed here as guests of Anusuya.
Major places :-
Ramghat has rows of ghats situated on the banks of Mandakini river. Kamadgiri, Janaki Kund, Sati Anusuya, Sphatik Shila, Gupta Godavari, Hanuman Dhara, Bharat Koop are worth visiting. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Amarkantak: –
, the origin of India’s 5th longest and western Narmada river, is a famous pilgrimage and panoramic tourist destination. Amarkantak, located in the Maikal ranges in the south-eastern part of Pushparajgarh tehsil of Anuppur district of Madhya Pradesh, is counted among the holy places of India. This origin place of Narmada and Son and Johila rivers has been the abode of sages and sages since time immemorial. Narmada originates here from a pool and Sonbhadra from a mountain peak.
Major places :-
There are 24 temples in Amarkantak. Kapildhara Falls, Son Mung, Mai Ki Bagiya, Kabira Chaura, Bhrigu Kamandal and Pushkar Dam are worth seeing. Amarkantak village situated in the valley has temples with grand peaks and many dharamshalas.
Gwalior :-
The city of Gwalior has been the shelter of many dynasties for centuries and new dimensions were added during each reign. Warriors, kings, poets, musicians and sages from here gave maximum prosperity and prosperity to this city with their contribution and this city became famous all over the country.
The huge Gwalior fort was built in 525 AD by Raja Surajpal. This fort has played an important role in the history of the medieval period.
Major places :-
Gwalior Fort, Gujari Mahal was built by Raja Mansingh Tomar in love with Gujar Rani Mrignayani. Maan Mandir, Surajkund, Teli Ka Mandir, Saas-Bahu Ka Mandir, Jay Vilas Mahal, Equestrian Statue of Rani Lakshmibai, Museum, Tansen’s Samadhi, Gaus Mohammad’s Tomb, Art Gallery, Municipal Museum, Zoo, Gurudwara, Sun Temple etc. worth visiting Is. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Shivpuri :-
which was the summer capital of the Scindia kings of the princely state of Gwalior, still reminds of the royal heritage through its beautiful palaces and ornate chhatris made of marble. Shivpuri was declared as the first tourist destination of Madhya Pradesh.
Major places :-
Madhav National Park: Spread over an area of 156 square kilometers, this park is rich in different types of flora and fauna. Chinkara, Indian Kalpoonch and Chital are found in this area with abundance of deer. Apart from this, Nilgai, Sambhar, Chausingha, Blackbuck, Reeth, Cheetah and Monkey are prominent.
In addition to the national park, the artistic umbrellas of the Scindia dynasty, Madhav Bilas Prasad of pink color, Kaguredar George Castle building located at its highest point in the middle of the sanctuary, Sankhya Sagar pond (Ramsar land 2022), Boat Club, Bhadaiya Kund and Veer Tatya Tope’s huge The idol is another place of interest here.
Omkareshwar :-
This island-like picturesque place, which is the sacred form of Om, is considered as a place of pilgrimage since time immemorial. Jyotirlinga Purana established in the temple of Omkar Mandhata at the confluence of Narmada-Kaveri here is one of the famous 12 Jyotirlingas. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Omkar Mandhata, Siddhnath Temple, Twenty-four Avatars, Sapta Matrika Temple and Kajal Rani Cave, 108 feet high statue of Adiguru Shankaracharya (under construction) etc. are here.
Maheshwar :-
Mahishmati, the ancient capital of history famous emperor Kartavirya Arjuna is the modern Maheshwar. It is also mentioned in Ramayana and Mahabharata. Rani Ahilyabai Holkar embellished the palaces here.
Major places :-
Rajgaddi and Rajwada, ghat and temple are worth visiting. Maheshwar sarees are very famous.
Bhopal :-
Bhojpal of the eleventh century and later this city named Bhupal was established by King Bhoj of Parmar dynasty. Bhopal is situated on five hills and has two lakes. The climate here is even. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Taj-ul-Masjid, Jama Masjid, Lakshminarayan Mandir, Birla Museum, Shaukat Mahal and Sadar Manzil, Bharat Bhavan, Indira Gandhi National Human Museum, Government Museum, Gandhi Bhavan, Van Vihar, Chowk, Big and Small Lake, Fish House etc. are visible.
Bandhavgarh :-
In the remote hills of Vindhya mountain range in Shahdol district, 448 sq. km. There is a small but dense national park spread over the area.
Bandhavgarh, the home of the white lion, has the highest concentration of tigers in the whole of India. Sal-forests are spread in the valleys and slopes of this terrain, which turn into deciduous forests due to the hills and dry areas in the south and west of the park.
Major places :-
Wildlife:- More than 22 mammals and more than 250 species of birds are found here. The man-eating animals here include the Asiatic jackal, Bengal fox, bear, hyena, white mongoose, striped hyena, jungle cat, panther and tiger.
Kanha Kisli :-
Kanha’s forest full of sal and bamboos, Kanha National Park came into existence in 1955 by a special law. It has become a fearless shelter for animals and birds. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
Bamnidadar, the species of mammals and the animal world of Kanha are worth visiting.
Orchha :-
Orchha state was founded by Bundela Rajput Rudrapratap in the 16th century. There are many small tombs and monuments in the courtyard of Orchha. Each of these has an interesting history. It is a famous historical city of the medieval period.
Major places :-
Jahangir Mahal, Rajmahal, Rai Praveen Mahal, Ramraja Temple, Chaturbhuj Temple, Lakshminarayan Temple, Phool Bagh, Diwan Hardaul Palace, Sundar Mahal, Chhatris, Martyr’s Memorial
Bhojpur :-
It was founded by Raja Bhoj, the great emperor of Dhar, immortalized in the form of legends. The grand Shiva temple here is called Somnath of central India. Whose construction is still incomplete.
Major places :-
28 kms from Bhopal Far away Bhojpur’s fame is due to the grand Shiv Mandir and Vidhal Dam. This temple is considered as Bhojeshwar temple. The Jain temple is also worth visiting.
Bhima Betka :-
Bhim Batka, surrounded by the northern end of the Vindhya mountain ranges, is 40 km from Bhopal. It is situated towards the south. The Bhima Betka Group is considered a valuable chronicle of human history and a marine archaeological complex. This place was discovered by Shridhar Vishnu Wakankar. Bhimbetka was included in the UNESCO World Heritage List in the year 2003. Bhimbetka is the largest cave group in the world. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Major places :-
There are more than 500 caves depicting the daily life of prehistoric cave dwellers.
Vidisha :-
Famous as Vidisha, Besnagar and Bhelsa, this area is only 10 km from Sanchi as a rich heritage of ancient history. It is situated between the rivers Betwa and Bess. This region had attained immense prosperity under the Sunga, Naga, Satavahana and Gupta emperors.
Before becoming the emperor, Ashoka was the governor of this place. The mention of Vidisha is found in Mahakavi Kalidas’s great work Meghdoot.
Major places :-
There are Lohangi Shila, Gumbaz, Bija Mandal etc. The Pillar of Heliodorus (Khamba Baba) is a pillar erected by Heliodorus in honor of Vasudeva.
Udayagiri Caves :-
4 km from Vidisha These caves are located far away and were built in the fourth-fifth century. The series of pylons of these caves are very beautiful.
Vishnu is engraved in the form of Varaha Avatar. The giant idol of Lord Vishnu is in the resting posture. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Gyarspur :-
41 KM from Sanchi. This distant place is an important place of the middle ages. The carved pillars of Vajra Bhadra and Maladevi are worth seeing.
Udaipur :-
This place is 90 km from Bhopal via Vidisha and Ganjbasoda. Is at a distance of.
The huge Neel Kantheshwar temple here is a unique example of Parmar architecture. Bija Mandal, Shahi Masjid, Mahal, Temple of Pisanhari etc. are other places of interest.
Bagh Caves :-
Bagh Caves is 146 km from Indore. Located in far Dhar district.
Like the Ajanta caves, these caves are also of ancient times. The incidents of Hindu epics and Buddhist texts are inscribed in these caves.
Maihar :-
Maihar is a small town in the Satna district of Madhya Pradesh, it is a famous Hindu pilgrimage site. The temple of Sharda Maa in Maihar is situated on the Trikuta mountain in the Kaimur and Vindhyachal mountain ranges. Maihar Mata’s temple is one of the 108 Shaktipeeths, it is also famous by the name of Narasimha Peetha. Maihar had the famous Alha Udal’s arena. Mehar is also known as Music City. It is the birthplace of musician Ustad Allauddin Khan. Every year Alauddin Khan ceremony is celebrated in Maihar. The Government of Madhya Pradesh declared it a holy site in 2009. Alha Udal Talab, Narsingh Peeth and Golamath are places of interest in Maihar.
Dhar :-
There is a fort on a small hill here, which was built in 1344 AD by Sultan Muhammad Tughlaq for the purpose of staying here on his way to Devagiri during his southern conquests. The Devi Kalkaji temple in this fort is the tomb of Abdullah Shah Mangal. Hazrat Maqbool’s grave is near the fort. Dhar has also been the capital of Parmar kings. Bhojraj’s city Bhojshala and Lat temple are famous.
Mandsaur :-
Here is the famous temple of Pashupatinath. Close to this is the Gandhi Sagar Dam built on the Chambal River. Religious and tourist places of Madhya Pradesh
Bawangaja :-
On the basis of government figures, Adinath (Rishabhdev’s 25.6 meters) high (monolith) statue in Bawangaja (1 meter has 3.28 feet, 1 yard also has about 3 feet) The height of the idol is known to be 84 feet. In some places the height of the idol of Adinath Rishabhdev is reported to be 72 feet.
Ginnaurgarh :-
It is 60 km away from Bhopal, where a fort is built on a 390 meter high 50 meter wide. It was built by Maharaja Udayavarman in the 13th century. Kamlavati was the last Gond ruler of this fort. There is a parrot area near the fort. The hill on which the fort is built is called Asharfi hill. All the palaces of this fort are special sights and many buildings are of historical importance, which are the center of special attraction for tourists.
Muktagiri :-
The holy pilgrimage site of Jains is situated in Betul district. There are 52 temples here. Some temples are built inside the rocks. This temple built on uninhabited and forest covered caves and mountain peaks looks very attractive. There is also a small waterfall, which adds to the charm of the place. Religious and tourist places of Madhya Pradesh