राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग maanavaadhikaar aayog

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

  • maanavaadhikaar aayog राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को की गई थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग maanavaadhikaar aayog
  • मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है . राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग maanavaadhikaar aayog
  • यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे – जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है। maanavaadhikaar aayog

मानवाधिकार :-

  • संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
  • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं।
  • कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हक़दार होता है।

मानवाधिकार परिषद :-

  • मानवाधिकार परिषद एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका गठन 15 मार्च, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव द्वारा किया गया था।
  • इसे पूर्व में रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के स्थान पर लाया गया था।
  • यह पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी है। इसी के साथ यह संस्था मानव अधिकार के उल्लंघनों की भी जाँच करती है।
  • इसके पास मानव अधिकार से जुड़े सभी महत्त्वपूर्ण मुद्दों और विषयों पर चर्चा करने का अधिकार है।
  • यह परिषद संयुक्त राष्ट्र महासभा में चुने गए 47 सदस्य देशों से मिलकर बनती है। maanavaadhikaar aayog

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संरचना :-

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक सदस्य तथा दो डीम्ड सदस्य होते हैं।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा है ।
  • मध्यप्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी है ।
  • यह आवश्यक है कि 7 सदस्यों में कम-से-कम 3 पदेन सदस्य हों।
  • अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
  • अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों या 70 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो, तक होता है।
  • इन्हें केवल तभी हटाया जा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की जाँच में उन पर दुराचार या असमर्थता के आरोप सिद्ध हो जाएं।
  • इसके अतिरिक्त आयोग में पाँच विशिष्ट विभाग (विधि विभाग, जाँच विभाग, नीति अनुसंधान और कार्यक्रम विभाग, प्रशिक्षण विभाग और प्रशासन विभाग) भी होते हैं।
  • राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के परामर्श पर की जाती है। maanavaadhikaar aayog

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य और शक्तियाँ :-

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आता है या शिकायत के माध्यम से लाया जाता है तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उसकी जाँच करने का अधिकार है।
  • इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
  • आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल में बंद कैदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमे सुधार के लिये सुझाव दे सकता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा मानवाधिकारों को बचाने के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनमें बदलावों की सिफारिश भी कर सकता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है।
  • आयोग प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच  मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी का प्रचार करता है और लोगों को इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये प्राप्त उपायों के प्रति भी जागरूक करता है।
  • आयोग के पास दीवानी अदालत की शक्तियाँ हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।
  • इसके पास मुआवज़े या हर्जाने के भुगतान की सिफ़ारिश करने का भी अधिकार है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की विश्वसनीयता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके पास हर साल बहुत बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज़ होती हैं।
  • यह राज्य तथा केंद्र सरकारों को मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की सिफ़ारिश भी कर सकता है।
  • आयोग अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है जिसे संसद के दोनों सदनों में रखा जाता है। maanavaadhikaar aayog

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