मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियाँ

मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियाँ

मध्यप्रदेश की नदियों का प्रवाह:-

चंबल, बेतवा, सोन, केनउत्तर दिशा की ओर

नर्मदा, ताप्ती- पूर्व दिशा की ओर

बेनगंगा, वर्धा- दक्षिण दिशा की ओर

नर्मदा नदी  :-

उद्गम- अनूपपुर जिले के अमरकंटक पहाड़ी से

समापन खंभात की खाड़ी (अरब सागर) में एस्चुरी (Estuary) का निर्माण करती है।

लंबाई- 1312 (कुल लंबाई) 1077( एमपी में)

अन्य नाम- रेवा, नामादोस, शंकरी, सोगो देवी, मैकलसुता

सहायक नदियां- नर्मदा नदी की 41 सहायक नदियां हैं जिनमें से प्रमुख है-

बरनार, बंजर, तवा, छोटी तवा, कुंदी, दूधी, शेर, शक्कर, गंजाल और गोई नर्मदा में बाईं ओर से समाहित होने वाली तथा हिरन, तिनदोनी, बरना, कोलार, मान, ऊँटी, हथिनी आदि नर्मदा में दाई ओर से समाहित होने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ  हैं।

बेसिन क्षेत्र- 93180 वर्ग किलोमीटर – 89.9%( एमपी में),6.5%(गुजरात में),2.7%(महाराष्ट्र में)

परियोजना- इंदिरा सागर बांध परियोजना (पुनासा डैम),सरदार सरोवर बांध परियोजना

प्रमुख तथ्य :-

  • यह मध्यप्रदेश की प्रमुख बड़ी तथा लंबी नदी है।
  • नर्मदा नदी सतपुड़ा और विंध्यञ्चल पर्वत के मध्य भ्रंश घाटी में बहती है ।
  • नर्मदा नदी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है।
  • इस नदी को मध्य प्रदेश के लोक माता और जीवन रेखा कहते हैं।
  • नर्मदा को मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मेरुरज्जु कहते हैं।
  • यह नदी डेल्टा नहीं बनाती बल्कि एशचूरी का निर्माण करती है।
  • नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण का गठन 1980 में हुआ था।
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चंबल नदी :-

उद्गम- इंदौर जिले के महू की जानापाव पहाड़ी से

समापन- यमुना नदी (इटावा के पास)

लंबाई 965 किलोमीटर, जिसमें से लगभग 650 Km मध्य प्रदेश में है।

अन्य नाम- धर्मावती, चर्मावती ,भूगर्भा

सहायक नदी- पार्वती, कालीसिंध, सिंध, शिप्रा

  • चंबल नदी मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है तथा यह मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के मध्य सीमा का निर्धारण करती है।
  • मंदसौर, कोटा, चित्तौड़गढ़, मुरैना, इटावा आदि चंबल के किनारे स्थित महत्वपूर्ण नगर  है।
  • भागवत एवं महापुराण, मार्कर्ण्डय, वायु ब्रह्माण्ड, मत्स्य पुराणों में इसे चर्मण्वती कहा गया है। मेघदूत में कालिदास ने चर्मण्वती का उल्लेख किया है।

परियोजना

  • गांधी सागर बांध (मंदसौर)- मध्य प्रदेश की प्रथम जल विद्युत परियोजना है
  • जवाहर सागर/ कोटा बैराज (राजस्थान)
  • राणा प्रताप सागर परियोजना (राजस्थान)

सोन नदी :-

उद्गम अनूपपुर के अमरकंटक से

समापन- गंगा नदी (पटना जिले के पास दीनापुर बिहार में)

लंबाई- 780 किलोमीटर

अन्य नाम- स्वर्ण नदी, हिरण्य बाहु

परियोजना- बाणसागर परियोजना शहडोल जिले में (एमपी+ बिहार+ यूपी)

अन्य नाम :- सोन का नाम शोण, सुवर्ण या शोणभद्रा था।

सहायक नदियाँ – जोहिला, बनास, गोपद, रिहन्द आदि

ताप्ती नदी :-

उद्गम- बैतूल के मुल्ताई पहाड़ी से

समापन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा गुजरात में प्रवाहित होते हुए सूरत के निकट खंभात की खाड़ी में (अरब सागर में)

लंबाई 725 किलोमीटर

अन्य नाम- सूर्य पुत्री

सहायक नदी- पूर्णा, शिवा, बोरी

नर्मदा की भाँति यह नदी भी डेल्टा न बनाकर एश्चुरी (ज्वारनदमुख) का निर्माण करती है।

परियोजना :- अपर ताप्ती तथा लोअर ताप्ती, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है जो ताप्ती नदी पर स्थित है।

बेतवा नदी :-

उद्गम- मध्य प्रदेश के कुमरागाँव (रायसेन जिले) में स्थित विंध्याचल पर्वत श्रेणी से

समापन- यमुना नदी (हमीरपुर के निकट उत्तर प्रदेश)

लंबाई- 540 किलोमीटर

सहायक नदी बीना, धसान, सिंध, मालिनी , जामिनी ।

परियोजना- राजघाट बांध परियोजना, हलाली परियोजना( सम्राट अशोक सागर परियोजना), माताटीला , मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की संयुक्त सिंचाई परियोजना ।

  • इसे मध्यप्रदेश की गंगा( प्रदूषण की दृष्टि से) भी कहा जाता है।
  • बुंदेलखंड की जीवन रेखा के नाम से भी इस नदी को जाना जाता है।
  • इस नदी का पौराणिक नाम वेत्रावती है ।
  • बेतवा नदी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मध्य सीमा का निर्धारण करती है।
  • बाणभट्ट ने ‘कादंबरी‘ में और कालिदास ने ‘मेघदूत‘ इसका वर्णन किया है।

तवा नदी :-

उद्गम- होशंगाबाद पचमढ़ी के पास महादेव पर्वत की कालीभीत पहाड़ियों से

समापन नर्मदा नदी

  • नर्मदा एवं तवा नदी के संगम पर मांधार जलप्रपात है
  • मध्य प्रदेश का सबसे लंबा बांध तवा नदी पर ही बनाया गया है जिसकी लंबाई 1322 मीटर( होशंगाबाद) है
  • सबसे लंबा सड़क पुल तवा नदी पर है
  • मध्य प्रदेश में सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान तथा बोरी अभयारण के मध्य तवा नदी बहती है ।

क्षिप्रा नदी :-

उद्गम- इंदौर (मध्य प्रदेश) के समीप काकरी बारड़ी पहाड़ी से ।

समापन- चंबल नदी (मंदसौर के पास)

लंबाई– 195 किलोमीटर

  • इस नदी को मालवा की गंगा कहा जाता है
  • उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर क्षिप्रा नदी तट पर ही स्थित है।
  • क्षिप्रा नदी के तट पर प्रत्येक 12वें वर्ष पर उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है तथा यहीं पर क्षिप्रा नदी पर ‘रामघाट’ स्थित है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • खान नदी क्षिप्रा की सहायक नदी है।

माही नदी :-

धार जिला (मध्यप्रदेश) में विंध्याचल पर्वत से माही नदी का उद्गम होता है ।

यह नदी गुजरात के खंभात की खाड़ी में गिरती है।

माही नदी एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती हैं।

कालीसिंध :-

उद्गम- देवास के बागली गांव से

समापन- चंबल में जाकर मिल जाती है

लंबाई- 150 किलोमीटर

सिंध :-

उद्गम- मध्य प्रदेश के गुना जिले के सिरोंज नामक स्थान से

समापन चंबल नदी (इटावा)

पार्वती :-

उद्गम सीहोर (आष्टा)

समापन – चंबल में

टोंस( तमसा) :-

उद्गम सतना जिले में कैमूर पर्वत श्रेणी में स्थित तमाशकुंड जलाशय से

समापन इलाहाबाद के निकट सिरसा नामक स्थान पर गंगा नदी में समाहित हो जाती है।

सहायक नदियाँ :- बीहड़ व बेलन

वैनगंगा :-

उद्गम- यह सिवनी के पारस बड़ा पठार से

समापन वर्धा नदी (महाराष्ट्र)

वर्धा तथा वैनगंगा का संगम प्राणहिता के नाम से जाना जाता है ।

केन :-

उद्गम कटनी से

समापन- यमुना नदी में

लंबाई :- 427 Km (292 Km यह मध्य प्रदेश में)