मध्यप्रदेश में पशुपालन 

मध्यप्रदेश में पशुपालन

मध्यप्रदेश में पशुपालन 

    मध्य प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है, पशुपालन कृषि का अभिन्न अंग है। जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है।

  • मध्यप्रदेश में 19 अक्टूबर 2004 को मध्य प्रदेश गोपालन एवं संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया।
  • मध्यप्रदेश में पशुओं का घनत्व 15 पशु प्रति वर्ग किलोमीटर है । सबसे अधिक पशु घनत्व झाबुआ (203 )जिले में सबसे कम पशु घनत्व होशंगाबाद जिले (45) में है।
  • मध्य प्रदेश में सहकारी डेयरी विकास कार्यक्रम 1975 में शुरू हुआ।
  • मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम 19 नवंबर 1982 में स्थापित हुआ।
  • आनंद पद्धत्ति पर आधारित सहकारी डेयरी विकास कार्यक्रम मध्यप्रदेश में 1970 से चलाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में पशुपालन 

मध्य प्रदेश के प्रमुख पशु :-

बकरी :-

  • राज्य के कुल पशुधन में लगभग 11.6 मिलियन बकरियां है ।यहां बकरी की प्रसिद्ध देशी नस्ल जमुनापारी है जो भिंड जिले में पाई जाती है। इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता 2.25 से 2.7 लीटर प्रतिदिन है।
  • वर्तमान में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में बकरी प्रजनन एवं शोध केंद्र की स्थापना की गई है। राज्य भर में इस केंद्र की 7 इकाइयां कार्यरत हैं।
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गोवंश :-

    मध्य प्रदेश के कुल पशुधन में लगभग 18.7 मिलियन गोवंशीय पशु है ।

गायों की संख्या की दृष्टि से मध्य प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।

राज्य के विभिन्न जिलों में गाय की विभिन्न देखी नस्लें जाती हैं।

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निमाड़ी गाय :-

    इस नस्ल की गाय निमाड़ क्षेत्र के खंडवा तथा खरगोन में पाई जाती हैं में पाई जाती हैं।

यह मध्य प्रदेश की सर्वाधिक दूध देने वाली गाय है।

इसे निमाड़ की की रानी के नाम से जाना जाता है।

मध्यप्रदेश में पशुपालन 

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मालवी गाय :-

    एक नस्ल की गाय मालवा क्षेत्र के शाजापुर राजगढ़ तथा मंदसौर में पाई जाती हैं में पाई जाती हैं इसे मालवा की रानी कहा जाता है।

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गावलाब प्रजाति :-

    यह सतपुड़ा क्षेत्र के सिवनी तथा छिंदवाड़ा में पाई जाती है । इसे गोवंश की सर्वोत्तम नस्ल माना जाता है।

  • मध्य प्रदेश में वर्ष 1999 से राष्ट्रीय गोवंशीय पशु प्रजनन परियोजना संचालित की जा रही है।
  • मध्य प्रदेश में 8 पशु प्रजनन केंद्र हैं।
  • इन केंद्रों पर साहिवाल, हरियाणा, मालवी, निमाड़ी, जर्सी तथा मुर्रा आदि उन्नत नस्ल के सांड रखे जाते हैं।
  • मध्यप्रदेश में पशुपालन 
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भैंस :-

  • राज्य के कुल पशुधन में लगभग 10.3 मिलियन भैंसे हैं ।
  • भैंसों की संख्या की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश का देश का पांचवा राज्य है।
  • राज्य में भैंस की प्रसिद्ध देसी नस्ल बंधवारी है
  • जो ग्वालियर भिंड मुरैना जिलों में पाई जाती है में पाई जाती है।
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भेड़ :-

  • राज्य के कुल पशुधन में लगभग 0.85% भेड़ें हैं। राज्य में भेड़ की प्रसिद्ध देशी नस्ल  देशी नस्ल रेम्बुले का पालन किया जाता है ।
  • मध्य प्रदेश में 4 भेड़ प्रजनन केंद्र स्थापित हैं।
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सूअर :-

  • सूअर राज्य के कुल पशुधन में लगभग 0.5% सूअर है । सुअर संगोपन कार्यक्रम के माध्यम से सूअर पालन को  प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

पशु  चारागाह :-

    मध्यप्रदेश में चारागाहों के अंतर्गत 13000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र सम्मिलित है । जो प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 4.2% है। राज्य में पशुओं के लिए चारा बनाने का सयंत्र धार जिले में स्थापित किया गया है।

पशु स्वास्थ्य :-

विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों से पशुओं की सुरक्षा तथा उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्रदेश में निम्नलिखित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है –

  • पशु चिकित्सालय-1063
  • पशु औषधालय-1585
  • चल पशु चिकित्सा इकाइयां-38
  • विरुजालाय चिकित्सा केंद्र-27
  • माता महामारी अनुगामी इकाई-10
  • माता महामारी उन्मूलन सतर्कता इकाई-7
  • सघन टीकाकरण इकाइयाँ-7
  • माता महामारी रोग शमन दल-2
  • पशु निरोगी स्थल-1
  • राज्य स्तरीय रोग अनुसंधान शाला-1
  • जिला स्तरीय रोग अनुसंधान शालाएं-34
  • खरगोन जिले में गौ एंबुलेंस सेवा प्रारंभ की गई है
  • भोपाल जिले में हाई सिक्योरिटी एनिमल लैबोरेट्री तथा एनिमल सरोगेसी लेब स्थित स्थित है।
  • राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र की स्थापना किरतपुर इटारसी में की गई है।
  • वर्ष 1964- 65- 65 में भोपाल की भदभदा में केंद्रीय वीर्य संस्थान की स्थापना की गई है। इस संस्थान को 25 मार्च 2016 से 24 मार्च 2019 तक के लिए आईएसओ प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है ।इसके अतिरिक्त अन्य संस्थान ग्वालियर और जबलपुर में स्थापित किए गए हैं।
  • क्षेत्रीय सीमन बैंक इंदौर एवं रीवा को आईएसओ प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान :-

    केंद्रीय वीर्य संग्रहालय के अंतर्गत इंदौर भोपाल ग्वालियर एवं जबलपुर में तरल नाइट्रोजन संयंत्रों की स्थापना की गई है तथा बुंदेलखंड विशेष पैकेज के द्वितीय चरण के अंतर्गत रतोना सागर जिले में भी एक तरल नाइट्रोजन संयंत्र की स्थापना की गई है।

    होशंगाबाद जिले के किरतपुर में पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है । जिसमें मुर्रा भैंस के प्रजनन एवं विकास , बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र तथा पशु आहार संयंत्र केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।

राज्य में सर्वाधिक पशु उत्पाद उत्पादित करने वाले जिले :-

दुग्ध– मुरैना, उज्जैन, इंदौर, शिवपुरी, देवास, रीवा, शाजापुर, ग्वालियर और सतना

मांस- भोपाल, जबलपुर, इंदौर, देवास

अंडे- जबलपुर, भोपाल, इंदौर

ऊन-शिवपुरी  तथा टीकमगढ़

  • मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 1970 में आनंद मंडल (गुजरात )पर आधारित सहकारी डेयरी विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
  • वर्ष 1975 में इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसी से प्राप्त वित्तीय सहायता से मध्य प्रदेश स्टेट डेयरी डेवलपमेंट कारपोरेशन का गठन किया गया।
  • वर्ष 1980-81 में प्रदेश में ऑपरेशन फ्लड फेज 2 कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ।जिसके अंतर्गत 4 दुग्ध संघों भोपाल इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर स्थापना की गई।
  • 6 अक्टूबर 2016 को सागर क्षेत्र में बुंदेलखंड सरकारी दुग्ध संयंत्र की स्थापना की गई।
  • ‌पूर्व स्थापित मध्य प्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ को वर्तमान में एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड में परिवर्तित कर दिया गया है वर्तमान में इसे पांच क्षेत्रों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन में विभाजित किया गया है।

पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम :-

  • मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना 19 नवंबर 1982 को हुई। इसका मुख्य उद्देश्य, पशु तथा कुक्कट का पालन पोषण इनके उत्पादों का संग्रहण ,विपणन ,संरक्षण ,प्रबंधन तथा विकास करना है।
  • सूखतावा होशंगाबाद के अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारों ने वर्ष 1993 में कुक्कुट पालन के लिए केसला पोल्ट्री कोऑपरेटिव सोसाइटी की स्थापना की थी।
  • समेकित आदिवासी विकास योजना के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के द्वारा कुक्कुट पालन के लिए ग्रामीण परिवारों को अनुदान दिया जाता है। केसला पोल्ट्री कोऑपरेटिव सोसाइटी अपने उत्पादों को सुखवात चिकन के ब्रांड नाम से विक्रय करता है।
  • मध्यप्रदेश में ऐसी 10 सहकारी समितियां कार्यरत हैं जिनमें उन्नत नस्ल के व्हाइट लेग हॉर्न  तथा झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे का पालन किया जाता है।

कड़कनाथ मुर्गा :-

  • मार्च 2018 में कड़कनाथ मुर्गे को जीआई टैग दिया गया है
  • यह मध्य प्रदेश के पश्चिमी जिला( झाबुआ अलीराजपुर जिला धार )की प्रसिद्ध स्वदेशी पोल्ट्री नस्ल है इसके पैर मांस  अंडा सभी काले रंग के होते हैं।
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मत्स्य पालन :-

  • मध्यप्रदेश में राज्य मत्स्य पालन विभाग की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी वर्ष 1999 में इसका नाम परिवर्तित करके मध्य प्रदेश मत्स्य महासंघ कर दिया गया।
  • वर्ष 2008 में राज्य मत्स्य विकास बोर्ड की स्थापना की गई जिसके पश्चात मध्य प्रदेश की प्रथम मत्स्य पालन नीति की घोषणा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन के विकास को प्रोत्साहन देना था।
    • ‌मानव निर्मित जिलों में मध्यप्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।
  • मछली उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में 16 स्थान है जो देश के कुल मछली उत्पादन का लगभग 1 देशों में 6% योगदान देता है
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पशुपालन से संबन्धित प्रमुख योजनाएँ :-

  1. नन्दी शाला योजना अनुदान पर प्रजनन योग्य देशी वर्णित गौसांड का प्रदाय करना ।
  2. समुन्नत पशु प्रजनन योजना (अनुदान पर प्रजनन योग्य पेडीग्रिड मुर्रा सांड का प्रदाय योजना सभी वर्ग के लिए)
  3. आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना

उददेश्य :_

  1. दुग्ध उत्पादन में वृद्धि।
  2. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति मे सुधार लाना।
  3. पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धिरोजगार के अवसर प्रदाय करना